मंगलायतन विश्वविद्यालय के प्रो. जयंती लाल जैन ने हाल ही में सिंगापुर का दौरा किया। सिंगापुर में उन्होंने जैन धर्म के विभिन्न पहलुओं पर 30 से अधिक व्याख्यान दिए। उनका दौरा भारतीय संस्कृति और जैन धर्म के महत्व को बढ़ावा देने का एक अवसर था। वहीं, वैश्विक स्तर पर जैन दर्शन की गहराई और उसकी प्रासंगिकता को प्रस्तुत करने में महत्वपूर्ण साबित हुआ।
प्रो. जेएल जैन ने व्याख्यानों के माध्यम से जैन धर्म की उन मूलभूत विचारधाराओं का विवरण दिया, जो मानवता के लिए महत्वपूर्ण हैं। अहिंसा, क्षमा, सत्य, क्रोध, मान, माया, लोभ, संयम आदि जैसे सिद्धांतों को उन्होंने विस्तार से समझाया। उन्होंने समझाया कि इन सिद्धांतों का पालन न करने से व्यक्तिगत व सामाजिक जीवन दुखमय हो जाता है। ये शाश्वत सिद्धांत है और प्रत्येक मानव के लिए उपयोगी होने के साथ किसी विशेष धर्म पर आधारित नहीं हैं। उनके व्याख्यान वहां रहने वाले भारतीय व अन्य समुदायों के बीच प्रशंसनीय रहे। जैन संगम नामक एक संवाद को भी उन्होंने संबोधित किया। प्रो. जैन द्वारा लिखित एक लघु नाटक सीता व राम के वैराग्य भी प्रस्तुत की गई। अपने दौरे के दौरान उन्होंने कई संगठनों और शोधार्थियों के साथ सांस्कृतिक संवाद किया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीके दशोरा, कुलसचिव बिग्रेडियर समरवीर सिंह, संयुक्त कुलसचिव प्रो. दिनेश शर्मा ने शुभकामनाएं प्रेषित की।